फ़िल्म की कहानी सोलहवीं व सत्रहवीं शताब्दी के बीच तानाजी मालुसरे के जीवन पर आधारित है। बचपन से ही अपने पिताजी से युद्ध की कलाबाजी सीखकर उन्ही की तरह योद्धा बनने की चाहत रखने वाले तानाजी उर्फ तान्या (अजय देवगन) का अपने पिताजी से बहुत लगाव था। युद्व में उनके पिता वीरगति को प्राप्त होते हैं। उनकी अंतिम इच्छा यही रहती है कि देश स्वराज हो और उनकी यही इच्छा पूर्ण करने के लिए तानाजी भी छत्रपति शिवाजी महाराज (शरद केलकर) के यहाँ सूबेदार बन जाते हैं। शिवाजी महाराज और तानाजी अभिन्न मित्र भी हैं उनके वीरता की गाथा पूरा मराठा वंश गाता है। स्वराज के जीत के लिए युद्ध होता है और औरंगजेब के चक्रव्यूह में शिवाजी फंस जाते हैं जिससे कई मराठों के राज्य और किले मुगल वंश के कब्जे में चला जाता है। तभी शिवाजी महाराज की माता जिजाबाई शपथ लेती हैं कि जब तक उनके राज्य वापस नहीं मिलते तब तक वह पैरों में जूतियां नहीं पहनेगी। शिवाजी महाराज दुश्मनों को चकमा देकर वापस आते हैं और फिर स्वराज्य की होड़ प्रारंभ होती है। औरंगजेब अपने क्रूर सेनापति उदयभान राठौड़ (सैफ अली खान) को दो हजार सैनिक और विध्वंसक तोप 'नागिन' के साथ मराठों के राज्यों पर जीत हासिल करने दक्षिण भारत की ओर भेजता है। इधर शिवाजी महाराज को अपने सूबेदार तानाजी की जरूरत है मगर उसके जीवन में पहली बार खुशियां आ रही है और वो खुशी है, उसके बेटे का विवाह। शिवाजी अपने मित्र की खुशियों को मिटाना नहीं चाहते इसलिए वे उदयभान के आने की खबर तानाजी से छुपा रहे हैं। तभी तानाजी को इस युद्व की खबर मिलती है और वे शिवाजी से यह युद्ध करने की अनुमति लेते हैं और युद्ध की रणनीति बनाते हैं। फिर कोंढाणा किले को मुगलों के अधीनता से किस प्रकार स्वतंत्र करते हुए वीरगति को प्राप्त करते हैं यह फ़िल्म देखकर दर्शक स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं।
फैंटसी मूवी देखने वालों को यह फ़िल्म बहुत रोमांचक लगेगी। यह फ़िल्म थ्री डी में भी प्रदर्शित हुई है जिससे एक्शन के प्रति रोमांच कई गुना बढ़ जाता है। फ़िल्म में अजय देवगन का काम बेहतरीन है और एक्शन लाजवाब। तानाजी की पत्नी सावित्री मालुसरे के किरदार में काजोल भी दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगी। छोटी सी ही भूमिका विधवा रानी कमल की भूमिका में नेहा शर्मा प्यारी लगी है। शिवाजी महाराज के दमदार रूप में शरद केलकर अच्छे लग रहे हैं। सैफ अली खान उदयभान राठौड़ के रूप में अपना सर्वोत्तम देने की कोशिश किये हैं।
फ़िल्म की कहानी तानाजी और उदयभान के युद्ध के ही इर्दगिर्द है। फ़िल्म में उदय एक राजपूत सैनिक का पुत्र था जो बाद में औरंगजेब का सेनापति बन जाता है। निगेटिव रोल में सैफ ने अच्छा काम किया पर कुछ जगह पर वह रणवीर सिंह जैसे लगे। एक राजपूत का किरदार होकर भी मुगलों जैसा दिखना फ़िल्म में कहीं खटकता है। युद्ध के सीन लाजवाब हैं पर ये वास्तविकता से काफी दूर लगे। फ़िल्म में रोमांस कम है पर शिवाजी महाराज और तानाजी की मित्रता हृदयस्पर्शी लगी। फ़िल्म के संगीत जोशभरा हैं पर साधारण है। यह फ़िल्म इतिहास की घटना पर आधारित तो है पर पूर्णरूप से काल्पनिक युद्धचित्र है। अंग्रेजी फ़िल्म देखने वालों को फ़िल्म के कई सीन जाना पहचाना भी लग सकता है। फ़िल्म के एक दृश्य में तानाजी रूप बदलकर शिवाजी को समझाने आते हैं पर शिवाजी जैसे बुद्धिमान योद्धा उन्हें पहचान ना पाए यह मिथ्या लगता है। फ़िल्म के कई दृश्य हृदयस्पर्शी हैं।
अजय देवगन की प्रोडक्शन कंपनी एडीएफ और भूषण कुमार की टी-सीरीज़ द्वारा निर्मित और ओम राउत द्वारा निर्देशित अजय देवगन स्टारर 'तानाजी - द अनसंग वॉरियर' बहुत शानदार फ़िल्म है।
गायत्री साहू
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