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मुम्बई, 26 जुलाई, 2019: अथर्व फ़ाउंडेशन ने एक अनोखी पहल करते हुए २०वे कारगिल विजय दिवस का जश्न मनाने‌ और देश के शूरवीर सैनिकों को सम्मानित करने के लिए कारगिल विजय दिवस का आयोजन मुम्बई के षणमुखानंद हॉल में किया गया. इस विशेष कार्यक्रम के दौरान कारगिल युद्ध के शहीदों को सम्मानित किये जाने के बाद देशभक्ति से ओत-प्रोत इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में पांच जांबाज़ों की वीरता की कहानियां और कारगिल युद्ध पर एक डॉक्युमेंट्री भी प्रदर्शित की गयी
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित हुए. इसके अलावा रिटायर्ड विंग कमांडर जगमोहन नाथ (एमवीसी से संबंधित बार), रिटायर्ड कैप्टन संसार चंद (एमवीसी), रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट कर्नल मनोज कुमार सिन्हा (एसएम), रिटायर्ड मेजर अखिल प्रताप, रिटायर्ड ब्रिगेडियर वसंत पाटिल एसएम (वीसीएम) भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे. उल्लेखनीय है कि इस जश्न‌ के आयोजन के संयोजक रिटायर्ड कर्नल सुधीर राजे थे वहीं सह-संयोजन की ज़िम्मेदारी रिटायर्ड कर्नल पी. के. कपूर, रिटायर्ड कर्नल एन. वी. शौचे और रिटायर्ड मेजर अशोक कौल ने संभाली.
इस कार्यक्रम में शहीद कैप्टन जिंतू गोगोई (वीआरसी-असम), सूबेदार होनी, कैप्टन अमोल कालिया (वीआरसी-नंगल, हिमाचल प्रदेश), कैप्टन विजयकांत थापर (वीआरसी-दिल्ली), कैप्टन अनुज नायर (एमवीसी-दिल्ली) और मेजर पद्मपानी आचार्य (एमवीसी-तेलंगाना) को श्रद्धांजलि दी गयी.
ग़ौरतलब है कि कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित कारगिल जिले में हुआ था. कारगिल में मिली विजय का श्रेय बिग्रेडियर योगेंद्र सिंह यादव, लेफ़्टिनेंट जनरल मनोज कुमार पांडेय, कैप्टन विक्रम बत्रा और राइफ़लमैन संजय कुमार के वीरत्व, उनके अथक प्रयासों और बलिदान को जाता है.
अथर्व फाउंडेशन के अध्यक्ष सुनील राणे ने कहा, "26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के 20 साल पुरे हुवे है और देश के लिए शहीदों की कुर्बानी को एक बार फिर से याद कर रहा है. देश के वीर जवानों के बलिदानों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. वे सभी देशवासियों के दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे. कारगिल युद्ध की स्मृतियां तमाम भारतीयों के मन में हमेशा के लिए जीवित रहेंगी. ये ख़ास कार्यक्रम हमारे देश के उन नायकों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया है, जिन्होंने‌ जांबाज़ी दिखाई और अपनी जान की परवाह न करते हुए राष्ट्र के लिए ख़ुद को न्यौछावर कर दिया.

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