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बढ़िया सिनेमा उसे कहा जाता है जिसमें हमारी भावनाएं छलकती है। इसी शुक्रवार को प्रदर्शित हिंदी फिल्म ' कड़के कमाल के ' की कहानी में नयापन तो नहीं है मगर  इस मनोरंजक फ़िल्म में एक महत्वपूर्ण संदेश दिखाया गया है।
कहानी में दो मुख्य पात्र मामा दौलतराम ( राजपाल यादव ) और भांजा सनी ( आर्यन अधिकारी ) नेपाल के एक गांव में रहते हैं। उनकी हरकतों से गांववाले परेशान रहते हैं।
एक दिन मुम्बई से एक खूबसूरत लड़की नेपाल घूमने आती है जिसकी इज़्ज़त सनी बचाता है।
फिर लड़की वापस चली जाती है।
अब गांव वाले एक तरकीब लगाकर दोनों मामा भांजे को मुम्बई भेज देते हैं।
मुम्बई में विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए दोनों लोगों का दिल जीत लेते हैं और मालामाल भी हो जाते हैं। लेकिन यहाँ दोनों गरीब नेपाली धन के लालच में न आकर स्वाभिमानी का परिचय देते हैं और असहाय लोगों की मदद करते हैं।
फ़िल्म के निर्देशक लक्ष्मण सिंह ने नेपाल के प्रमुख स्थलों को इस फ़िल्म में पेश किया है और नेपाल और हिंदी फिल्मों के कलाकारों को एक फ्रेम में डालकर बढ़िया काम निकाला है।
बॉलीवुड के अनुभवी क्रिएटिव डायरेक्टर रजत आनंद ने फ़िल्म को ओवर बजट होने से बचाया है। इस फ़िल्म के निर्माता ऐतवारी सिंह ने ईमानदार व स्वाभिमानी नेपालियों को अलग पहचान दिलाने की कोशिश की है।
फ़िल्म के हीरो आर्यन अधिकारी को नेपाल का टाइगर श्रॉफ माना जाता है। फ़िल्म में उसका एक्शन कमाल का है लेकिन हिंदी दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
राजपाल यादव कॉमेडी के रंग में हमेशा जमते ही हैं। हीरोइन नीता ढुंगाना और एंजेल श्रेष्ठा क्यूट लगी है। अन्य कलाकार दयाशंकर पांडे, विजय पाटकर, उषा नाडकर्णी, राणा जंग बहादुर, प्रकाश गिमिरे, रामचंद्र अधिकारी, आरती सोलंकी, राजीव निगम और उदय दहिया की भूमिका भी असरदार है।
फ़िल्म वितरक राजेश मित्तल ने मित्तल एडवरटाइजिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन के तहत इस फ़िल्म को पूरे भारत और नेपाल के सिनेमाघरों में रिलीज किया है।

संतोष साहू

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