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  दुनिया के कई राष्ट्रिय और अंतराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में अब तक 28 अवार्ड और दर्शकों का बढ़िया प्रतिसाद पाने के बाद अब फ़िल्म तर्पण सिनेमागृहों में रिलीज के लिए तैयार है।
विश्व महिला दिवस पर निर्देशक नीलम आर सिंह की हिन्दी फ़िल्म तर्पण का ट्रेलर मुंबई में लॉंच किया गया। एमिनेंस स्टुडिओज़ प्रस्तुति और मिमेसिस मीडिया के बैनर तले निर्मित फ़िल्म तर्पण आज के समय में समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी का समर्थन करती है साथ ही जातिवाद के सामाजिक समीकरण पर कुठाराघात करती है। फ़िल्म समाज में महिलाओं के कई भावनात्मक और सामाजिक पहलूओं को गहरायी से दिखाती है इसलिए महिला निर्देशक नीलम आर सिंह ने फ़िल्म के ट्रेलर को लाँच करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्व महिला दिवस का चुनाव किया।
  इस अवसर पर निर्माता एवं निर्देशक नीलम आर सिंह के साथ विशेष अतिथि के रूप में अमन वर्मा, अभिनेता रवि भूषण, शालीन भानोट, रवि गोसाईं और फ़िल्म के प्रेज़ेन्टर इंदरवेश योगी उपस्थित रहे। 
  फ़िल्म में प्रमुख भूमिकाओं में नन्द किशोर पंत, संजय सोनू, राहुल चौहान, अभिषेक मदरेचा, पूनम इंगले, नीलम, वंदना अस्थाना, अरुण शेखर , पद्मजा रॉय नजर आएंगे। यह फ़िल्म लेख़क शिवमूर्ति जी की नॉवेल पर आधारित है, स्क्रीनप्ले और संवाद धर्मेंद्र वी सिंह ने लिखे हैं।  गीतकार राकेश निराला के लिखे गीतों को मनोज नयन ने संगीतबद्ध किया है। फ़िल्म के सुकुमार जटानिया सिनेमैटोग्राफ़र हैं और सुनील यादव ने संपादन किया है। फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर संजय पाठक ने तैयार किया है।  
  तर्पण मूलरूप से तॄप्त शब्द से बना है जिसका अर्थ दूसरे को संतुष्ट करना है। तर्पण का शाब्दिक अर्थ  देवताओं, ऋषियों और पूर्वजों की आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए जल अर्पित करना है।  
 फ़िल्म तर्पण की कहानी बेहद ही संवेदनशील विषय से जुडी है। गाँव की छोटी जाति की युवती राजपतिया को एक ऊँची जाति के ब्राह्मण लड़के चन्दर द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। यह घटना एक राजनैतिक मुद्दा बन जाती है। गवाहों के अभाव में चन्दर को कोर्ट से बेल मिल जाती है। राजपतिया के भाई को स्थानीय राजनेता समझाता है कि किस तरह से बदला लिया जा सकता है ।
  इस अवसर पर निर्देशक नीलम आर सिंह ने कहा कि "मैं हमेशा एक ऐसी फ़िल्म बनाना चाहती थी जो दिल को छुए। फ़िल्म तर्पण की कहानी मेरे दिल के बहुत क़रीब है, यह समाज में ऊँची जाति छोटी जाति के बीच सामाजिक बुराईयों की परत को बहुत ही क़रीब से बताती है, साथ ही दर्शकों के लिए मानवीय मूल्यों और भावनाओं के बीच एक सवाल और सन्देश भी देती है।

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