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मि.प. संवाददाता /जमशेदपुर (झारखंड)
चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों भीख मांगने वालों के बीच एक लखपति भिखारी भी है। इसकी महीने की कमाई ३० हजार से ऊपर है। उसकी तीन बीवियां हैं। झारखंड के सिमडेगा में एक बर्तन की दुकान भी है। उसे लोग छोटू बारिक के रूप में जानते हैं। लोग इसे लखपतिया भिखारी के नाम से भी पुकारते हैं।
छोटू बारिक पैरों से दिव्यांग है। ये वेस्ट्रिज नाम की चेन मार्केटिंग कंपनी का मेंबर भी है। कोट, टाई पहनकर मार्केटिंग मीटिंग में हिस्सा भी लेता है। छोटू की उम्र ४० वर्ष के आसपास है। चक्रधरपुर के पोटका में वह रहता है। वह रोजाना कई ट्रेनों में भीख मांगता है। अपने पास मोबाइल भी रखता है।
छोटू बारिक ऐसा बिजनेसमैन है जो बिना पूंजी के ही लाखों रुपए आसानी से कमा लेता है। छोटू की वार्षिक आय उसके ही अनुसार तीन लाख पचास हजार रुपए से भी अधिक है। छोटू ने पैसे का सदुपयोग कर सिमडेगा के बांदी गांव में एक बर्तन की दुकान खोल रखी है। इसे उसकी तीन पत्नियों में से एक चलाती है। बर्तन दुकान की आय से उसकी पत्नी और बच्चों का आराम से भरण-पोषण चल जाता है। छोटू बारिक वेस्टिज बिजनेस का स्वतंत्र डीलर है।
उसने अपना आईडी कार्ड दिखाते हुए कहा- ‘मेरे निचले क्रम में २० से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। जो मार्केटिंग का बिजनेस करते हैं।’छोटू बारिक अपनी कहानी यूं ही किसी से शेयर नहीं करता। तमाम कोशिशों के बाद उसने बताया कि चक्रधरपुर के पोटका गांव का रहने वाला है। वह बचपन से ही दिव्यांग है। घर में गरीबी के बीच पालन पोषण हुआ। गरीबी के कारण ही उसने भीख मांगना शुरू कर दिया।
आज के समय में वह लखपति है, लेकिन उसका काम भीख मांग कर गुजारा करना ही है। रेलवे स्टेशन और ट्रेनों में भीख मांगते छोटू को देखकर कोई नहीं कहेगा कि सरकारी नियमानुसार कर दाता होना चाहिए। लोग दिव्यांगता को देखते हुए अधिक रहम करते हैं। उसने बताया कि रोजाना हजार से बारह सौ रुपए तक की भीख मांग लेता हूं। वह शर्माते हुए कहता है कि सारा पैसा तो पारिवारिक खर्च में चला जाता है। अधिक पूछने पर उसने बताया कि मैंने तीन शादियां की है। तीनों को नियमित खर्च देता हूं।

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