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कटिहार [नंदन कुमार झा]। बिहार के कटिहार जिले के सेमापुर बाजार निवासी अशोक कुमार झा के परिवार के लिए बिन दहेज की शादी एक परंपरा बन चुकी है। वे लगातार इस संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि इस परिवार में दहेज न लेने न देने की परंपरा रही है, जिसका निर्वहन आगे भी होगा।
आधी उम्र पार कर चुके अशोक झा बताते है कि उन्होंने अपनी शादी में भी दहेज का विरोध किया था। उस समय उनकी आलोचना भी हुई थी। समय के साथ लोगों के विचार में भी परिवर्तन हुआ है। अब विरोध करने वाले लोग ही उनके कदमों की सराहना कर रहे हैं।
अपने परिवार के साथ-साथ समाज के लोगों को दहेज विरोधी मुहिम का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपनी दो पुत्रियों व एक पुत्र की शादी भी बिन दहेज कर समाज के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। छोटे पुत्र का विवाह भी वे बिना दहेज ही करेंगे।
उन्होंने बताया कि वे लोग श्रोत्रीय समाज से आते हैं। इस समाज में दहेज न लेने और देने की परंपरा रही है। इस समाज से ताल्लुक रखने वाले लोग दहेज का विरोध करने के साथ ही दहेज लेने वाले परिवार के समारोह में शिरकत करने से भी परहेज करते हैं। उन्होंने इस कारवां को आगे बढ़ाने का महज प्रयास किया है। कहा कि यह परिवार के साथ समाज की मुहिम है।
उन्होंने सरकार द्वारा दहेजबंदी को लेकर चलाए जा रहे अभियान की सराहना करते हुए कहा कि विवाह परिवार और रिश्तों का बंधन है। इसे मोल-भाव एवं दहेज जैसी कुरीति के साथ जोडऩा उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि वे परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अन्य लोगों को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।

वे बताते हैं कि अगर दहेज जैसी कोढ़ समाज से समाप्त हो जाए तो यह न केवल दो परिवारों के बेहतर सामंजस्य का बेहतर माहौल तैयार करेगा, बल्कि बेटी को बोझ समझने जैसी मानसिकता से भी निजात मिलेगी।

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