मुंबई। मुंबई एजुकेशनल ट्रस्ट (एमईटी) द्वारा संचालित इंस्टीट्यूट ऑफ मास मीडिया ने अपने प्रमुख क्रिएटिव फेस्टिवल मेटामॉर्फोसिस 2025 का उद्घाटन जीवंत थीम ‘मीडिया-वर्स’ के साथ किया। यह उत्सव कहानी कहने की कला, नवाचार और मल्टीमीडिया सृजन की निरंतर विकसित होती दुनिया का जश्न है। विज्ञापन, पत्रकारिता, मनोरंजन, डिजिटल मार्केटिंग, इवेंट्स, कंटेंट क्रिएशन, स्टोरीटेलिंग, क्रिएटिव टेक्नोलॉजी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पीजी कार्यक्रम प्रदान करने वाले भारत के अग्रणी मीडिया व कम्युनिकेशन संस्थानों में शामिल एमईटी आईएमएम, अपने विविध शैक्षणिक कार्यक्रमों के माध्यम से भविष्य-आधारित प्रोफेशनल्स गढ़ता आ रहा है। छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण, मज़बूत अकादमिक आधार और हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग के ज़रिए एमईटी आईएमएम यह सुनिश्चित करता है कि युवा शिक्षार्थी उद्योग-ज्ञान, रचनात्मक सोच और व्यावहारिक कौशल से लैस होकर तेज़ी से बदलती दुनिया में सफल हों।
मेटामॉर्फोसिस का शुभारंभ एमईटी के नेतृत्व के प्रेरक मार्गदर्शन और छात्रों व मीडिया प्रेमियों के उत्साहपूर्ण माहौल के बीच हुआ। पंकज भुजबल, मानद ट्रस्टी, ने मीडिया प्रतिभाओं को निखारने और छात्रों को उद्योग की चुनौतियों के लिए तैयार करने की एमईटी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर गर्व व्यक्त किया। श्रीमती विशाखा भुजबल, सीनियर मैनेजमेंट प्रतिनिधि, ने छात्रों को आत्मविश्वास और जिज्ञासा के साथ अपनी रचनात्मकता तलाशने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन डॉ. प्रिया मेनन नायर, निदेशक, एमईटी इंस्टीट्यूट ऑफ मास मीडिया, की दूरदर्शिता को भी दर्शाता है, जिनके हैंड्स-ऑन मार्गदर्शन से छात्रों ने अपने विचारों को सशक्त रचनात्मक अनुभवों में ढाला।
दिन की शुरुआत टीम भाडीपा (सारंग, राहि और देवांग) के ऊर्जावान सत्र से हुई। उनकी ऊर्जा, हास्य और लाइव कंटेंट क्रिएशन ने दर्शकों से तुरंत जुड़ाव बना लिया। 35 कॉलेजों के छात्रों की उत्साही भागीदारी ने हॉल को एक जीवंत रचनात्मक खेलभूमि में बदल दिया।
फेस्टिवल का प्रमुख आकर्षण रहा ‘द क्रिएटर्स’ कोर्ट’- एक कल्पनाशील कोर्टरूम-स्टाइल प्रस्तुति, जिसमें मनोज बाजपेयी, राकेश ओमप्रकाश मेहरा और प्रह्लाद कक्कर शामिल हुए। छात्र प्रतिनिधि अक्षता और रोनक ने रचनात्मक “आरोप” पेश किए, जिन पर सेलेब्रिटीज़ ने तीखे हास्य और सौम्य रोस्ट के साथ जवाब दिए। दर्शकों की तालियों के बीच यह सत्र हास्य और ईमानदार रचनात्मक आत्ममंथन का यादगार संगम बन गया।
इस अवसर पर मनोज बाजपेयी ने कहा, “जब आप अपने काम से सच्चा प्रेम करते हैं और उसे रोज़ करते रहते हैं, तो धीरे-धीरे उसमें निपुण हो जाते हैं। यह गिटार सीखने जैसा है। शुरुआत में तारों और फ्रेटबोर्ड पर ध्यान रहता है, असमंजस और धीमापन होता है। लेकिन अभ्यास के साथ महारत स्वाभाविक हो जाती है। अभ्यास जारी रखें, शिल्प के प्रति प्रतिबद्ध रहें। यही वास्तविक विकास का रास्ता है।”
इसके बाद मराठी अभिनेता अभिनय बेर्डे, हृता दुर्गुले और निर्देशक क्षितिज पटवर्धन के साथ एक संवाद सत्र हुआ, जिसका संचालन श्वेता गाडेकर ने छात्र मॉडरेटर्स अनुष्का और वैभवी के साथ किया। विकसित होती कथाओं, परफॉर्मेंस यात्राओं और मराठी सिनेमा के भविष्य पर उनकी चर्चा ने उभरते क्रिएटर्स को गहराई से प्रभावित किया।
तीन दिनों में मेटामॉर्फोसिस 2025 में कुल 28 गतिशील गतिविधियां आयोजित हुईं। पहले दिन 12, दूसरे दिन 9 और तीसरे दिन 7 गतिविधियां आयोजित हुईं। इसके अलावा, मिस्टर एंड मिस मेटामॉर्फोसिस, फैशन शो, डांस प्रतियोगिताएं, क्रिएटिव चैलेंजेज़ सहित अनेक इवेंट्स हुए, जिनका समापन प्रतिभा, टीमवर्क और रचनात्मक उत्कृष्टता का जश्न मनाते हुए भव्य पुरस्कार समारोह के साथ हुआ।
इस विशेष आयोजन के लिए एमईटी आईएमएम ने 9.5 फीट ऊंची मेटामॉर्फोसिस ट्रॉफी तैयार की, जिसे ग्लोबल बुक ऑफ एक्सीलेंस (इंग्लैंड) ने विश्व की सबसे बड़ी ट्रॉफी और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भारत की सबसे ऊंची ट्रॉफी के रूप में मान्यता दी। यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी एम.एल. दहानुकर कॉलेज ने जीती। दूसरा पुरस्कार लाला लाजपत राय कॉलेज और तीसरा पुरस्कार कांदिवली एजुकेशन सोसाइटी के बी.के. श्रॉफ कॉलेज को मिला।
पुरस्कार पंकज भुजबल (मानद ट्रस्टी, एमईटी), अश्विन राणे (रजिस्ट्रार, एमईटी) और डॉ. प्रिया मेनन नायर (निदेशक, एमईटी इंस्टीट्यूट ऑफ मास मीडिया) द्वारा प्रदान किए गए।
छात्रों को बधाई देते हुए पंकज भुजबल ने पूरे फेस्टिवल में दिखे जुनून और पेशेवराना रवैये की सराहना की और कहा कि नेतृत्व, फैकल्टी और छात्रों के मजबूत सहयोग के कारण मेटामॉर्फोसिस हर साल अपने पैमाने और प्रभाव में निरंतर बढ़ रहा है।
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