जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए समाधान तलाशने पर हुआ ध्यान
समिट में भारत में बढ़ते जीवनशैली संबंधी रोगों का मुकाबला करने के लिए प्राचीन यूनानी ज्ञान और आधुनिक रिसर्च को एकीकृत करने पर चर्चा की गई
मुंबई। भारत में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और हृदय रोग जैसी गैर-संचारी (NCD) बीमारियों का बढ़ता बोझ देश में लगभग 60% मौतों का कारण बन रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए, भारत की प्रमुख स्वास्थ्य और वेलनेस कंपनी हमदर्द लैबोरेटरीज़ ने मुंबई में प्रतिष्ठित यूनानी समिट 2025 का आयोजन किया। इस समिट में यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र के प्रमुख डॉक्टर, रिसर्चर और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने भाग लिया, जहां उन्होंने ज्ञान का आदान-प्रदान किया और यूनानी चिकित्सा की भूमिका पर चर्चा की कि कैसे यह रोग निवारण और स्थायी स्वास्थ्य सेवा में मददगार साबित हो सकती है।
यह समिट महाराष्ट्र भर के प्रमुख यूनानी मेडिकल कॉलेजों के सहयोग से आयोजित किया गया, जिनमें मुंबई, पुणे, जलगांव, औरंगाबाद, मालेगांव और नासिक के प्रतिष्ठित संस्थान शामिल थे। इसने यूनानी चिकित्सा के शैक्षणिक और क्लिनिकल प्रभाव को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया।
इस आयोजन में डॉ. लियाकत अली अफ़क़ी, आईआरएस, एडिश्नल कमिश्नर – इनकम टैक्स मुंबई, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, भारत में रोगों के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए निवारक देखभाल की आवश्यकता और जीवन में स्पष्ट दृष्टि के महत्व पर ज़ोर दिया। डॉ. मसूर अली, वरिष्ठ वैज्ञानिक, CCRUM, आयुष मंत्रालय, अतिथि के रूप में उपस्थित थे, जिन्होंने यूनानी चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान, सतत शिक्षा, और नवीनतम तकनीक को अपनाने पर अपना विचार साझा किया।
इस कार्यक्रम की शोभा मुख्य अतिथि डॉ. लियाकत अली अफ़क़ी, आईआरएस, अतिरिक्त आयुक्त – इनकम टैक्स मुंबई ने बढ़ाई, जिन्होंने भारत में रोगों के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए निवारक देखभाल की आवश्यकता और जीवन में स्पष्ट दृष्टि के महत्व पर ज़ोर दिया। अतिथि डॉ. मसूर अली, आरआरआईयूएम, वरिष्ठ वैज्ञानिक, CCRUM, आयुष मंत्रालय ने यूनानी चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान, सतत शिक्षा, और नवीनतम तकनीक को अपनाने पर बल दिया।
समिट में वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें यह बताया गया कि यूनानी चिकित्सा आज के गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान कैसे प्रस्तुत करती है। विशेषज्ञों ने दर्द प्रबंधन, फैटी लीवर डिजीज में यूनानी उपचारों की भूमिका, और डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए यूनानी दृष्टिकोण पर चर्चा की, जो परंपरागत ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान के साथ जोड़ता है।
भारत में गैर-संचारी रोग (NCDs) गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुके हैं। इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज बर्डन इनिशिएटिव (ICMR, PHFI, IHME की संयुक्त पहल) के अनुसार, NCDs के कारण करीब 5.87 मिलियन मौतें होती हैं। इस समिट में यूनानी चिकित्सा के समग्र दृष्टिकोण पर भी जोर दिया गया — जिसमें छह आवश्यक तत्व (असबाब-ए-सित्ताह जरूरीयाह), रेजिमेनल थेरेपी (इलाज बित तदबीर) और डाइटोथेरेपी (इलाज बिल ग़िज़ा) जैसे सिद्धांत शामिल हैं।
निवारक और स्थायी स्वास्थ्य प्रबंधन पर बात करते हुए, हमदर्द लैबोरेटरीज़ के चेयरमैन और चीफ ट्रस्टी अब्दुल मजीद ने कहा, "यूनानी चिकित्सा प्राकृतिक और समग्र समाधान के जरिए भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते बोझ को रोकने और नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह पारंपरिक प्रणाली विशेष रूप से उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने में सहायक है, जहां आधुनिक सुविधाएं अभी तक नहीं पहुंच पाईं। हमारा लक्ष्य यह है कि प्रमाण आधारित अनुसंधान, पर्यावरण-संवेदनशील प्रथाओं और चिकित्सकों की क्षमता को निरंतर शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त किया जाए। इसी के जरिए हम भारत के 100% गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्धता के लक्ष्य में योगदान दे रहे हैं।"
उन्होंने हमदर्द की पारंपरिक यूनानी ज्ञान को आधुनिक डायग्नोस्टिक्स के साथ जोड़ने और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद किफायती दामों पर उपलब्ध करवाने की अटूट प्रतिबद्धता पर भी ज़ोर दिया।
समापन सत्र की शोभा मुख्य अतिथि डॉ. मोहन ए जोशी, डीन, एलटीटी म्युनिसिपल जनरल अस्पताल और मेडिकल कॉलेज (सायन अस्पताल), मुंबई, और अतिथि रईस शेख, विधायक, भिवंडी टाउन, ठाणे जिला ने बढ़ाई।
इंडस्ट्री शोकेस में कार्डियोब्रेन टैब को भी प्रदर्शित किया गया — एक प्रमाणित फार्मूलेशन जो यूनानी विरासत को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ता है, और मस्तिष्क व हृदय स्वास्थ्य सुधारने में सहायक है। यह हमदर्द के उन प्रयासों की एक कड़ी है, जिसमें शोध-आधारित उत्पाद जैसे जिग्रोल (लिवर केयर), लिपोटैब (लिपिड केयर), और डायबिट (डायबिटीज मैनेजमेंट) शामिल हैं, जो प्रभावी रूप से गैर-संचारी रोगों (NCDs) का समाधान पेश करते हैं। समिट में पोस्टर प्रतियोगिता और क्विज़ प्रतियोगिता भी आयोजित की गई, जो शिक्षाविदों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए थी। मुख्य ध्यान विशेषज्ञ स्तरीय ज्ञान साझा करने और इंटरैक्टिव संवाद पर रहा।
यह समिट हमदर्द लैबोरेटरीज़ की देशव्यापी पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यूनानी चिकित्सा को भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकृत करना है। इस साल की शुरुआत में पहला क्षेत्रीय सम्मेलन हैदराबाद में हुआ था, और अब मुंबई में आयोजित किया गया। इसके बाद तीन और समिट पूर्व, उत्तर और मध्य भारत में आयोजित किए जाएंगे।
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