मुंबई। पूरा विश्व महावीर जयंती का उत्सव मना रहा है, ऐसे में भगवान महावीर के ज्ञान एवं विरासत का अनुभव पाने के लिए अभय प्रभावना म्युज़ियम से अच्छा कोई और स्थान नहीं हो सकता। यह म्युज़ियम इतिहास का संग्रह स्थल नहीं बल्कि ऐसा व्यवहारिक स्थल है जहां प्राचीन शिक्षाओं और आधुनिक समझ का मिलन होता है। सावधानीपूर्वक तैयार की गई प्रदर्शनियों, विस्मयकारी मूर्तियों और आकर्षक कथाओं के माध्यम से यह म्युज़ियम जैन दर्शन के सार को जीवंत करता है, अर्थात मूल्यों पर आधारित जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करता है।जैन धर्म की उत्पत्ति की प्रतीक 43 फुट ऊँची ऋषभदेव की प्रतिमा से लेकर आध्यात्मिक चिंतन को प्रोत्साहित करने वाले विशाल और भव्य समभाव प्लाज़ा तक, म्युज़ियम का हर भाग आत्मनिरीक्षण को बढ़ावा देता है।
इस पावन अवसर पर म्युजियम 10 से 13 अप्रैल 2025 के बीच विशेष पैकेज ला रहा है, जिसमें गाइडेड टूर, अनुभवी साध्वियों के साथ संवाद सत्र और प्रतिदिन ‘द टाईमलैस विज़डम ऑफ तीर्थंकर महावीर’ पर प्रस्तुति (शाम 4ः30 से 6 बजे) समाहित है। आगंतुक पुणे/पीसीएमसी से वॉक-इन टूर या डे ट्रिप चुन सकते हैं, जिसमें भोजन एवं अन्य विशेष अनुभव शामिल हैं।
महावीर जयंती के पावन अवसर पर अभय प्रभावना म्युज़ियम के संस्थापक अभय फिरोदिया के अनुसार, ‘भगवान महावीर की शिक्षाएं किसी समय या धर्म तक सीमित नहीं हैं। वास्तव में वे नैतिक जीवन, आंतरिक शांति एवं सही मायने में प्रगति की मार्गदर्शक हैं। अभय प्रभावना में हमने ऐसे स्थल का निर्माण किया है जहां शाश्वत सिद्धान्तों को समझा जा सके, उन्हें सराहा जा सके और सबसे महत्वपूर्ण उन्हें अभ्यास में लिया जा सके। ‘यहां जैन धर्म का अनुभव इतिहास के एक अध्याय के रूप में नहीं है बल्कि एक जीवंत शक्ति के रूप में है जो हमारे वर्तमान और भविष्य को आकार देता है।’
इस प्रकार महावीर जयंती थमकर चिंतन करने और अपने उद्देश्य को पुनः निर्धारित करने का अवसर है। भौतिकतावादी और सामाजिक अशांति के इस दौर में भगवान महावीर के सिद्धान्त सद्भावपूर्ण विश्व का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वे भोग-विलास पर आत्म संयम, हठधर्मिता पर संवाद, और निर्दयता पर दयालुता का पक्ष लेते हैं- यही मूल्य हैं जो अभय प्रभावना म्युज़ियम की दीवारों में गूंजते हैं।
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