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अब तक 5000 हजार से अधिक सफल सर्जरी कर चुके हैं स्पाइनल व न्यूरो सर्जन डॉक्टर एम डी पुजारी 

मुम्बई। डॉक्टर एम. डी. पुजारी ब्रेन और स्पाइन सर्जन और कंसलटेंट है। डॉक्टर पुजारी पिछले 15 वर्षों से जरूरतमंद पेशेंट की स्पाइन सर्जरी और न्यूरो सर्जरी कर इलाज करते हैं। 
डॉ पुजारी कहते हैं कि मुख्य रूप से ट्रस्ट हॉस्पिटल की सहायता से वह आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद मरीजों का कम लागत पर इलाज करते हैं। क्योंकि ब्रेन और स्पाइन से जुड़ी सर्जरी में इलाज का खर्च लगभग 8 से 10 लाख आता है जिसे कुछ मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवार वहन नहीं कर पाते तो कुछ इलाज के आभाव में विकट परिस्थिति में चले जाते हैं। ऐसे ब्रेन और स्पाइन से बीमार व्यक्ति जिनको सर्जरी की आवश्यकता है किंतु उनका परिवार खर्च वहन नहीं कर पाता तो असहाय लोगों का न्यूनतम लागत या कभी निःशुल्क इलाज ट्रस्ट हॉस्पिटल की सहायता से डॉक्टर एम डी पुजारी कर देते हैं। 
26 जनवरी 2024 को मुम्बई में डॉ पुजारी को सिंगर कुमार शानू और अवार्ड शो आयोजक व फिल्ममेकर डॉ कृष्णा चौहान ने राष्ट्रीय रत्न सम्मान 2024 की ट्रॉफी देकर सम्मानित किया है। डॉक्टर पुजारी ने अपनी एमबीबीएस की शिक्षा बीएलडीई मेडिकल कॉलेज बीजापुर कर्नाटक से की है। उन्होंने एमएस की डिग्री ग्रैंड मेडिकल कॉलेज जेजे हॉस्पिटल से प्राप्त की है और न्यूरो सर्जरी की डिग्री कोलकाता से प्राप्त की है। डॉ. पुजारी मुम्बई में कूपर हॉस्पिटल, जेजे हॉस्पिटल, होली फैमिली हॉस्पिटल जैसे कई ट्रस्टी हॉस्पिटलों में कार्य कर चुके हैं। वर्तमान में वह होलीफैमिली हॉस्पिटल बांद्रा में कार्यरत हैं। डॉक्टर पुजारी बताते हैं कि उन्होंने अब तक लगभग 5000 से अधिक ब्रेन और स्पाइनल सर्जरी सफलतापूर्वक की है। उनका कहना है कि मरीज की आधी समस्या तो आपकी मोटिवेशनल बातों और हौसला दिलाने से ही ठीक हो जाती है बाकी दवाइयां ठीक करती है। डॉ पुजारी ने बताया कि उनके इलाज द्वारा 90 से 95% लोग आज भी स्वस्थ और अपने कार्यों में व्यस्त हैं। डॉक्टर बताते हैं कि बड़े हॉस्पिटलों पर ब्रेन सर्जरी और स्पाइन सर्जरी का खर्च बहुत अधिक आता है ऐसी स्थिति में मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवार खर्च वहन करने में अयोग्य रहते हैं। डॉक्टर पुजारी न्यूनतम खर्च पर और कभी-कभी निशुल्क ब्रेन और स्पाइन से पीड़ित ऐसे व्यक्तियों की सर्जरी कर देते हैं। डॉक्टर पुजारी अपने परिवार में पहले डॉक्टर हैं और उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं। डॉक्टर ने बताया कि हर मरीज अपने डॉक्टर को भगवान समझता है लेकिन मेरा भगवान तो मेरे मरीज है, अगर मरीज मेरे इलाज से संतुष्ट है तो इससे बड़ी संतुष्टि और खुशी मेरे जीवन की कुछ और हो ही नहीं सकती। 
डॉ पुजारी ने बताया कि लोग ब्रेन और स्पाइन सर्जरी करवाने से डरते हैं लेकिन ब्रेन, स्पाइन, हार्ट, स्ट्रोक और ब्लीडिंग जैसी समस्या आने पर हमें तुरंत नजदीकी अस्पताल पर संपर्क करना चाहिए। अच्छे अस्पताल की खोज में समय बर्बाद ना करते हुए पहले नजदीकी अस्पताल में जाये और प्रारंभिक इलाज करवायें अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती है, फिर समस्या से जुड़े डॉक्टर से संपर्क करें यदि अस्पताल में डॉक्टर उपलब्ध ना हो तो स्थिति संभालने के बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जाएं। यदि कभी ब्रेन या स्पाइनल से जुड़ी समस्या है तो किसी न्यूरो सर्जन से तुरंत संपर्क करना चाहिए तथा अतिशीघ्र जाकर इलाज प्रारंभ कर देना चाहिए। लोग ब्रेन और स्पाइन से जुड़ी समस्याओं में डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं कभी गिर गए या सिर पर चोट लग गई ऐसे समय में इलाज को नज़रअंदाज़ नहीं करनी चाहिए वरना समस्या गंभीर हो सकती है। 
डॉक्टर ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि 95 साल के एक मरीज का उन्होंने सफल स्पाइन का सर्जरी किया है और आज वो 99 वर्ष की उम्र में स्वस्थ है, चल फिर रहा है। लोगों को स्पाइन की समस्या आती है तो यथाशीघ्र यदि इसका इलाज कर लिया जाए तो वह दूसरे के भरोसे नहीं रहेंगे और चल फिर सकेंगे और अपना कार्य कर सकेंगे। आपका साथ दूसरा कोई कुछ समय तक ही निभाएंगे। किसी पर आश्रित होकर रहना जीवन को अधिक कष्टकारी बना देता है इसीलिए अपनी बीमाती का शीघ्र इलाज कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं और आपको सहारे की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। खासकर बुजुर्ग व्यक्ति जो स्पाइन की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें इलाज जल्द करवा लेनी चाहिए।
 ब्रेन और स्पाइनल का इलाज करना काफी जोखिम भरा होता है लेकिन अब तक इन्होंने सफल सर्जरी किया है। जिसके लिए वह विज्ञान और भगवान दोनों का आभार मानते हैं। 
एक तरफ सभी डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हैं, मगर डॉक्टर पुजारी कहते हैं कि मेरे मरीज ही मेरे भगवान है यदि वे स्वस्थ और प्रसन्न हैं तो इससे ज्यादा सुखद अनुभूति और कुछ नहीं। यही मेरे लिए सबसे बड़ा उपहार है। मैं पैसों के लिए काम नहीं करता बल्कि ऐसे लोगों का उपचार करता हूं जिन्हें आर्थिक रूप से असक्षम होते हैं। क्योंकि सेवा ही परमधर्म है। 
डॉक्टर ने आगे बताया कि अपने 15 साल के करियर पर उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखें हैं। कई मरीज जब स्वस्थ होकर तीन-चार महीने बाद उनके पास आते हैं तो वह उनको पहचान भी नहीं पाते क्योंकि ऑपरेशन के समय को उनके सिर का मुंडन कर दिया जाता है और जब तीन-चार महीने बाद उनके घने बाल आते हैं तो मैं पहचान भी नहीं पता। कुछ मरीज केवल मुझसे मिलने और बात करने आते हैं तो यह देखकर एक सुखद अनुभूति होती है और मैं सदैव भगवान का स्मरण कर प्रार्थना करता हूँ कि प्रभु आपके आशीर्वाद से लोग स्वस्थ हो पाये।

- गायत्री साहू

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