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मुम्बई। बुद्धांजलि आयुर्वेद प्रा.लि. कम्पनी को बंद कराने के लिए पतंजलि ने ट्रेड मार्क के रजिस्ट्रार को शिकायत दर्ज कर लिखा है कि इस कम्पनी के ट्रेड मार्क रजिस्ट्रेशन को रद्द किया जाए क्योंकि इस कम्पनी का नाम पतंजलि से मिलता जुलता है। पतंजलि ने कहा है कि बुद्धांजलि नाम जानबूझ कर हमारे बिज़नेस पर असर डालने के लिए रखा गया है। पतंजलि के षड्यंत्र को चुनौती देते हुए बुद्धांजलि के निदेशक कैलाश मासूम ने कहा है कि पतंजलि और बुद्धांजलि दोनों नामों में बहुत अंतर है। बुद्धांजलि शब्द उन बौद्धाचार्यों और बौद्ध भिक्षुओं से लिया गया है जिन्होंने हज़ारों साल पहले असली आयुर्वेद की खोज की थी। जीवक, महर्षि वागभट्ट, नागार्जुन बौद्ध, चिकित्सक बौद्ध जैसे अनेक बौद्ध भिक्षुओं ने आयुर्वेद की खोज की और उस पर अनेक ग्रंथ भी लिखे, उन्हीं बौद्धाचार्यों की परंपरा को यह कम्पनी आगे ले जाने का कार्य कर रही है। बुद्धांजलि शब्द किसी के देखा-देखी नहीं रखा बल्कि लम्बे शोध के पश्चात तथा बौद्धिक परंपरा के अनुरूप बुद्ध और अंजलि से गढ़ा गया नाम है। ऐसे लाखों कम्पनियों के नाम हैं जो एक-दो शब्द आगे पीछे मैच करते हैं। ताज़ा-माज़ा, अंजलि, गीतांजलि, पुष्पांजलि, प्रज्ञांजलि इसका मतलब सारी कम्पनियों को बंद कर देना चाहिए। 

कैलाश मासूम ने आगे कहा कि बाबा रामदेव जानबूझ कर हमें परेशान करने तथा डराने-धमकाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम डरने वालों में से नहीं हैं। हमें देश के क़ानून और न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। कैलाश मासूम ने कहा कि बाबा रामदेव दलित विरोधी मानसिकता के व्यक्ति हैं यह एक बार फिर साबित हो गया, वो सरकार और सरकारी तंत्र पर धौंस दिखाकर देश में अकेले बिज़नेस करना चाहते हैं। कैलाश मासूम ने कहा कि बुद्धांजलि आयुर्वेद कम्पनी भारत के क़ानून के मुताबिक़ काम कर रही है और भारत के क़ानून को ख़रीदने की ताक़त बाबा रामदेव में नहीं है।

ग़ौरतलब है कि बुद्धांजलि आयुर्वेद कम्पनी पिछले 3 साल से आयुर्वेद दवाओं का निर्माण कर रही है और अपनी गुणवत्ता के कारण लोगों को अच्छा लाभ दे रही है। बुद्धांजलि ने अब तक दलित समाज के सैकड़ों बेरोज़गार लोगों को रोज़गार दिया है। बुद्धांजलि के निदेशक कैलाश मासूम ने कहा कि हमारे आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स की बढ़ती डिमांड को देखकर शायद बाबा रामदेव की नींद हराम हो गई है इसलिए सरकारी तंत्र को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

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