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मुम्बई। सुधा साहित्य सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित रामधारी सिंह 'दिनकर' को समर्पित अंतरराष्ट्रीय काव्य संध्या का आयोजन धनत्रयोदशी के दिन पश्चिम अफ्रीका के नाईजीरिया के लागोस शहर के शेफायर गार्डन में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती निधि माथुर, समारोह अध्यक्ष श्रीमती कल्पना झा और मुख्य वक्ता श्रीमती पन्ना पटेल थी।

कार्यक्रम का शुभारंभ मधु मौर्या के सुरीले स्वर में सरस्वती वंदना से हुआ।

श्रीमती पन्ना पटेल ने रामधारी सिंह दिनकर के व्यक्तित्व और उनकी कृतियों पर चर्चा की। रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, संस्कृति के चार अध्याय आदि कृतियों पर भी चर्चा हुई।

 कल्पना झा ने राष्ट्र कवि 'कलम आज उनकी जय बोल' रचना का पाठ किया। इंदिरा इंचम्पाटी ने इतिहास के आँसू से कविता का शीर्षक मंगल आव्हान से 'भावों के आवेग प्रबल......'पढ़ी। मोनिका अग्रवाल ने वैभव की समाधि से कुछ पंक्तियाँ जो इस प्रकार हैं 'फूंक दे प्राण में उत्तेजना...... ' पढ़ी। जया बा ने 'दो में से क्या तुम्हें चाहिए......' रचना का पाठ किया।

प्रमिला सेडमकर ने 'रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद....' बहुत अच्छी तरह से कविता का पाठ किया। रीता धवन ने कलिंग विजय से 'युद्ध की इति हो गई.....' कविता का पाठ किया।

अंत में मुख्य अतिथि निधि माथुर ने सभी कवयित्रियों द्वारा पठित रामधारी सिंह 'दिनकर' की रचनाओं के काव्य पाठ की प्रशंसा की और उन्होंने भी ने कवि श्रेष्ठ दिनकर की रचना  'ऊंच-नीच का भेद न माने..' कविता का किया। रामधारी सिंह 'दिनकर' की रचनाओं का सभी ने आनंद लिया।

इस तरह सुधा साहित्य सामाजिक संस्था ने आगामी अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी हिंदी साहित्यिक गतिविधियों  से अवगत कराया।

संस्था की अध्यक्ष रजनी साहू ने सीपी और शंख से कविता का शीर्षक नमांकन से चुनींदा पक्तियाँ 'सिंधु तट की बालुका.... पढ़ी और सभी की सहभागिता के लिए आभार प्रकट किया।

नाईजीरिया की धरा पर हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध राष्ट्र कवि दिनकर को समर्पित काव्य संध्या सुचारू रूप से संपन्न हुई।

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