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मुंबई : नेशन फर्स्ट कलेक्टिव (क्रिएटिव कलेक्टिव ट्रस्ट, मुंबई द्वारा एक पहल), संस्कार भारती  पूर्वोत्तर और संस्कृति गंगा न्यास के द्वारा सुषमान्जलि का आयोजन ६ अगस्त को किया जाएगा। सुषमान्जलि के द्वारा  स्वर्गीय सुषमा स्वराज को प्रथम पुण्य तिथि पर फिल्म उद्योग और मनोरंजन जगत से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के कलाकारों के द्वारा डिजिटल श्रद्धांजली दी जायेगी। 
वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप के चलते यह कार्यक्रम पूर्णरूप से डिजिटल होगा। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक प्रियदर्शन आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं।
भारतीय सिनेमा और मनोरंजन उद्योग स्वर्गीय सुषमा स्वराज के मनोंरजन उद्योग के लिए महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद रखेंगे। लोकसभा में विपक्ष की नेता के तौर पर सुषमा स्वराज ने "कॉपीराइट संशोधन विधेयक" को पारित करने में मदद की, जिसने कलाकार और निर्माताओं को उनके अधिकार  प्राप्त करने में महत्वपूर्ण मदद की है।
देशभर के कलाकार जैसे डॉ मृदुला सिन्हा, निर्देशक सुभाष घई, अभिनेता मोहनलाल, अभिनेत्री कंगना रनौत, साहित्यकार नरेंद्र कोहली, कविता, शत्रुघ्न सिन्हा, कृष्णमूर्ति, प्रसून जोशी, प्रियदर्शन, मधुर भंडारकर, जाहनु बरूआ , अनूप जलोटा, एन. चन्द्रा, अमीषा पटेल, ईशा गुप्ता, अनंत नाग, समीर अंजान, कमलेश पांडे, मुकेश खन्ना, गजेंद्र चौहान, राहुल सिंह, संगीत निर्देशक कुलदीप सिंह हुए कई अन्य गणमान्य स्वर्गीय सुषमा स्वराज को श्रद्धांजलि देंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सूचना और प्रसारणमंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे। कार्यक्रम में सुषमा स्वराज जी की बेटी सुश्री बंसुरी स्वराज भी उपस्थिति रहेंगी। इस कार्यक्रम में एक ८५ मिनट के ऑडियो वीडियो की प्रस्तुति हरीश भिमानी द्वारा दी जायेगी। 

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  1. छोड़ कर कदमों के निशान सभी जाते हैं।

    कुछ तो हवा के झोंकों से उसी वक़्त ही मिट जाते हैं।

    कुछ को बारिश के चंद छींटे बहा ले जाते हैं।

    कुछ निशान चन्द दिनों के मेहमान होते हैं।

    धूल की परतों में धीरे से समा जाते हैं।

    इतने कच्चे होते हैं अक्सर कई कदमों के निशान।

    वक़्त के थपेड़ों में भुला दिए जाते हैं।

    देश पे शहीद हो जाये ग़र कोई इंसान।

    कदम उसके तीर्थ स्थान बन जाते हैं।

    इंसान के कर्म होते हैं कई बार ऐसे।

    सदियों सदियों तक निशान उसके देखे जाते हैं।

    भगवान है कि नहीं इस पे बहस हो सकती है।

    महान पुरुष कई भगवान सम पूजे जाते हैं।

    सुषमा स्वराज जैसी महान हस्तियों के कदमों के निशान,
    इतिहास के पन्नों पर सर्वदा सर्वदा के लिए अपना स्थान बनाते हैं।

    लाख मिटाने की कर ले कोशिश कोई, कुछ ऐसे होते हैं निशान।

    जितना मिटाओ, उतना ही उभर के आते हैं।

    इतने गहरे होते हैं सुषमा जी जैसों के निशान।

    समाज और मानवता के मार्ग दर्शक बन वो जाते हैं।

    किस्से कहानियों में, इतिहास के पन्नों पर, पीढ़ी दर पीढ़ी टहलते देखे जाते हैं।

    सुभाष सहगल

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