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मुंबई, 19 जून 2020: महामारी की वजह से चल रही आर्थिक मंदी की पृष्ठभूमि में कई संगठनों ने या तो अपनी भर्ती प्रक्रियाओं को रोक दिया है या बड़े पैमाने पर छंटनी कर रहे हैं। इस अस्थायी अयोग्यता ने नए इंजीनियरिंग स्नातकों के संकट को बढ़ा दिया है जो इस संकट के समय में भी अवसर की तलाश में हैं। इस बात का खुलासा भारत की सबसे बड़ी आईपी-संचालित इनक्यूबेशन लैब ब्रिजलैब्ज सॉल्युशंस एलएलपी द्वारा किए गए सर्वेक्षण में हुआ है। विभिन्न इंजीनियरिंग स्ट्रीम से जुड़े लगभग 1000 उम्मीदवारों (60% लड़कों और 40% लड़कियों सहित) के बीच किए गए इस सर्वेक्षण ने आज नौकरी की तलाश करने वालों की कुछ प्रमुख चिंताओं को सामने रखा है।
बूट कैम्प के माध्यम से भारत के तकनीकी पूल की रोजगार क्षमता को विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध ब्रिजलैब्ज द्वारा किए गए सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने महामारी के बाद की हमारी दुनिया में इंजीनियरों को 'जॉब रेडी' करके स्किल-सेल के गैप्स को दूर करने की आवश्यकता को साबित किया है। 76% उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि उनके कॉलेजों में एक्टिव प्लेसमेंट सेल है जबकि बाकी ने इसके उलट दावा किया है। यह उल्लेखनीय है कि यद्यपि अधिकांश छात्रों ने सक्रिय प्लेसमेंट सेल होना स्वीकार किया है, लेकिन पांचवें हिस्से से थोड़े ज्यादा यानी 24% उत्तरदाता ही उनके जरिये नौकरी हासिल कर सके हैं। छात्रों के एक बड़े हिस्से को अब तक किसी भी तरह की नौकरी की पेशकश नहीं हुई है। इसका तात्पर्य यह है कि वर्तमान में 78.64% छात्रों के पास कोई नौकरी नहीं है।
सर्वेक्षण के अनुसार 35.48% इंजीनियरिंग में नौकरी चाहने वाले समय पर प्लेसमेंट को लेकर चिंतित हैं। उनकी आशंकाएं कई मुद्दों के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। इनमें मनचाहे वेतन पैकेज से लेकर नौकरी के प्रस्ताव तक सबकुछ शामिल हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि केवल 26.96% उत्तरदाताओं को अपने मौजूदा स्किल सेट के दम पर मनचाहा वेतन पैकेज मिलने का विश्वास है। आंकड़े बताते हैं कि नौकरी चाहने वालों के बीच आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अनुभवात्मक लर्निंग से सपोर्टेड एक मजबूत स्किलसेट के महत्व को सामने लाते हैं।
ब्रिजलैब्ज के सीईओ नारायण महादेवन ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर कहा, “सर्वेक्षण ने कई विचार बिंदुओं को सामने लाया है। सबसे पहले सभी इंजीनियरिंग उम्मीदवारों को अपने कॉलेजों में कैंपस प्लेसमेंट का प्रावधान नहीं है। दूसरे, ऐसे प्रावधानों तक पहुंच भी नौकरी की गारंटी नहीं दे सकती है। विशेष रूप से मौजूदा आर्थिक मंदी के कारण भर्ती प्रक्रियाओं को रोकने की वजह से ऐसा हो सकता है। और, अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण, नौकरी तलाशने वालों को इस बात पर जरा-भी विश्वास नहीं है कि उन्हें जल्द ही मनचाहे पैकेज के साथ नौकरी मिल जाएगी।
महादेवन ने कहा, 'मौजूदा स्थिति को देखते हुए, एक मजबूत स्किलसेट की जरूरत है जो न केवल यह सुनिश्चित करे कि नौकरी तलाशने वाले को प्रतिस्पर्धी रोजगार बाजार में बढ़त हासिल हो, बल्कि उसे मनचाहा वेतन पैकेज भी प्राप्त हो, जो उसके प्रयासों के अनुरूप हो।

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